Indian Economic Progress: Rising GDP, Foreign Investments, and Employment Growth

Indian Economic Progress: आज, मौजूदा समय में दुनिया के ज्यादातर देश मंदी का सामना कर रहे हैं। अमेरिका हो, ब्रिटेन हो या यूरोपीय यूनियन का कोई भी देश हो, लगभग सभी देश आज मंदी की कगार पर खड़े हुए हैं। मंदी किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए सबसे खराब दौर माना जाता है, क्योंकि मंदी में महंगाई तेजी से बढ़ने के साथ साथ रोजगार भी कम हो जाते है और GDP विकास में देश के विकास की गति बढ़ने की बजाय कम हो जाती है।

European Union की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी भी मंदी के दौर से गुजर रहा है जिसके कारण विकास दर -0.3 फीसदी हो गई है। इसके अलावा चीन और अमेरिका जैसे बड़े देश भी अब धीरे धीरे मंदी का सामना कर रहे हैं और ये मंदी आने वाले समय में और भी बढ़ने वाली है। Bloomberg के Recession Probabilities Worldwide 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में दुनिया के सभी देशों में मंदी आने के प्रतिशत के बारे में बताया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में मंदी आने के संभावना 65 फीसदी है जबकि चीन में 12.5 फीसदी और जर्मनी में 60 फीसदी है।

Indian Economic Progress (Rising GDP, Foreign Investments, and Employment Growth)Indian Economic Progress: रिपोर्ट में भारत का अनोखा स्थान:

जानकर आपको आश्चर्य होगा कि इस रिपोर्ट में भारत में मंदी आने की संभावना शून्य प्रतिसद बताया गया है। आज पूरी दुनिया जब मंदी का सामना कर रही है तब भारत के GDP Growth 2023 का पहला क्वार्टर जनवरी से मार्च 2023 में 6.1 फीसदी तक रहे। इस मंदी के दौर में इतनी GDP Growth किसी भी देश की नहीं है। यानी आज भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गया है। इस कारण वर्तमान समय में ज्यादातर संगठन और ज्यादातर संस्था है भारत की बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था और विश्व में बढ़ती हुई साख का सारा श्रेय वर्तमान की मोदी सरकार को देते हैं।

कई ऐसे लोग और संगठन ऐसे भी हैं जो भारत की बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था का सारा श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार को देते हैं। लेकिन सवाल ये है की नरेंद्र मोदी के 9 साल के कार्यकाल में भारत की अर्थव्यवस्था 2014 में दो ट्रिलियन से आज 3.75 ट्रिलियन कैसे हो गई? मोदी सरकार ने ऐसा क्या किया की भारत की अर्थव्यवस्था इतनी तेज गति से बढ़ने लगे। तो आज के इस blogpost में हम इसी के बारे में विस्तार से जानेगें की कैसे मोदी सरकार के राज में भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ती गई। मनमोहन सिंह के कार्यकाल और नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में लोगों के जीवन में कितना फर्क आया है? इसके क्या क्या अलग अलग कारण है? इसके साथ ही, और भी कई जानकारी उपलब्ध है।

Indian Economic Progress: आजादी के बाद भारत में आर्थिक परिवर्तन:

साल 1947 में ब्रिटेन की गुलामी से आजाद हुआ भारत आज ब्रिटेन को ही पछाड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। जबकि उसी समय में भारत के साथ आजाद हुए कई देशों की अर्थव्यवस्था आज के समय में बर्बाद हो चुकी है। भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को ऐसे बदल दिया कि आज यह दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

किसी भी देश के विकास के लिए उसका infrastructure विकसित होना बहुत आवश्यक है। बिना infrastructure के कोई भी देश विकास की रफ्तार में टिक नहीं सकता। पिछले एक दशक में देखा जाए तो वर्तमान की मोदी सरकार ने infrastructure में बहुत ज्यादा निवेश किया है। इस सरकार ने रेलवे, roads, airports, bridge जैसे हजारों infrastructure projects में अरबों रुपये का निवेश किया है और अर्थशास्त्रियों के अनुसार इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश किया गया पैसा जीडीपी में एक से दो गुना होकर वापस आ जाता है।

इंफ्रास्ट्रक्चर में बढ़ोतरी:

शायद इसी कारण मोदी सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर में बढ़ोतरी के लिए अपने नौ वर्ष के कार्यकाल में नेशनल हाइवे का नेटवर्क 50,000 किलोमीटर तक बढ़ा दिया है। 2014 तक भारत में नेशनल हाइवे का नेटवर्क 97,830 किलोमीटर का था जो 2023 में बढ़कर 1,45,155 किलोमीटर का हो गया है। इसके साथ ही नेशनल हाइवे को प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के साथ जोड़ा गया, जिससे 90 फीसदी तक ग्रामीण इलाकों में सड़कें बनें और ग्रामीण लोग अपने कृषि उत्पादों के लिए आसानी से शहर तक पहुंचने लगे। इससे ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था में भी तेजी आयी।

इतना ही नहीं, तेजी से बढ़ते नैशनल हाईवे के कारण छोटे छोटे लघु उद्योगों के सामान आसानी से बड़े शहरों तक कम समय में पहुंचना शुरू हो गया क्योंकि नैशनल हाइवे के कारण किसी भी सामान को पहुंचाने के लिए लागत कम लगती है। इसका सीधा फायदा छोटे उद्योगों को होता है, जो हमारी अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी का एक प्रमुख कारण हैं।

Indian Economic Progress: रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर में विकास:

सड़क नेटवर्क के अलावा रेलवे नेटवर्क में भी सरकार ने काफी विकास किया है। 2014-15 में 1545 किलोमीटर रेलवे ट्रैक बिछाए गए थे। इसकी संख्या बढ़कर 2021-22 में 2907 किलोमीटर हो गयी है। इतना ही नहीं, 2006 से 2014 तक मात्र 4698 किलोमीटर रेलवे ट्रैक को विद्युतीकरण किया गया था। जबकि 2014 से 2023 में 37,011 किलोमीटर के रेलवे ट्रैक को विद्युतीकरण किया जा चुका है। इसके कारण सामान को पहुंचाना आसान और कम लागत वाला हो गया है।

इंफ्रास्ट्रक्चर और Service सेक्टर का महत्व:

इतना ही नहीं, सरकार मात्र सामान का जल्दी ट्रांसपोर्टेशन हो इसके लिए एक नया ट्रांसपोर्ट को समर्पित परिवहन कॉरिडोर का निर्माण भी कर रही है, जो बहुत जल्दी पूरे होने वाला है। ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी और रोड, रेलवे, पोर्ट्स, एयरपोर्ट्स जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के कारण भारत की अर्थव्यवस्था ने अपनी गति पकड़ी है और इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास से एक दूसरे स्थान पर जाना काफी आसान हो गया है। इससे भारत में पर्यटन का भी काफी विकास हुआ है। साल 2013 तक टुरिज़म इंडस्ट्री का भारत के जीडीपी में 172 बिलियन डॉलर का योगदान था। 2018 में बढ़कर 250 बिलियन डॉलर तक हो गया था।

पिछले कई दशकों से दुनिया भर के कई देश मैन्युफैक्चरिंग हब बनकर उभरे हैं, लेकिन भारत में कम क्षमता और कम रिसोर्सेस होने के कारण भारत पिछले कई दशकों से मैन्युफैक्चरिंग हब से पीछे रहा है। इस कारण भारत में सर्विस सेक्टर में काफी निवेश किया। और आज के समय में सर्विस सेक्टर भारत के जीडीपी में 50 फीसदी तक का योगदान देता है और अपने इसी सर्विस सेक्टर के कारण आज भारत धीरे धीरे दुनिया का मैन्यूफैक्चरिंग हब बन रहा है। भारत में मेक इन इंडिया और vocal for local जैसी योजनाएं लागू है जिससे देश में काफी निवेश बढ़ा है। इन योजनाओं के कारण कई विदेशी कंपनियां चीन जैसे देश को छोड़कर भारत में निवेश करने को तैयार हुई है।

Indian Economic Progress: भारत में विदेशी निवेश की बढ़ती मांग:

भारत दुनिया के सबसे बड़े आबादी वाला देश होने के साथ ही दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी वाला देश भी है। भारत में गरीबी तेजी से घट रही हैं और मिडिल क्लास फैमिली अब upper मिडल क्लास फैमिली बन रही है। इस कारण मैन्युफैक्चरिंग goods जैसे सामानों की मांग भी तेजी से बढ़ती जा रही है। यही कारण है की ऐसा मौका कोई भी कंपनी छोड़ना नहीं चाहती है। हजारों की संख्या में विदेशी कंपनियां भारत आकर निवेश कर रही हैं। दूसरा कारण ये भी है कि विदेशी कंपनियों के निवेश करने के लिए भारत सबसे सुरक्षित देश है क्योंकि भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान आतंकवाद से जूझ रहा है और बांग्लादेश में जगह की कमी है। वहीं चीन अमेरिका से ट्रेड और सी जिनपिंग की तानाशाही से जूझ रहा है। ऐसे में भारत एक क्षेत्रीय ट्रांसपोर्ट हब के रूप में उभरकर सामने आया है।

भारत ने कई देशों से फ्री ट्रेड अग्रीमेंट साइन किया है। इस कारण भारत में कोई भी विदेशी कंपनी आसानी से अपने व्यापार को स्टेबल करके अपने सामान को आसानी से दूसरे देशों में भेज सकती है। आज चीन को छोडकर हजारों कंपनियां भारत आ रही है जिसमें ऐप्पल, टेस्ला, माइक्रोसॉफ्ट, LG जैसी कई बड़ी बड़ी कंपनियां भी शामिल हैं। जहाँ दुनिया की अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है, वहीं भारत 6% से अधिक की विकास दर से दौड़ रहा है।

Indian Economic Progress: भारत में विदेशी निवेश में वृद्धि का साक्षात्कार:

सर्वे के अनुसार, ग्लोबल लीडर्स और नए इन्वेस्टर्स अपने इन्वेस्टमेंट को भारत में लगाने के लिए बड़े उत्सुक हैं। इस कारण भारत में 2011-12 में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट 40.5 बिलियन डॉलर था, जो बढ़कर 2021-22 में 83.5 बिलियन डॉलर हो गया। अनुमान है कि आने वाले पाँच सालों में भारत 475 बिलियन डॉलर के फॉरेन इन्वेस्टमेंट को अपनी तरफ आकर्षित कर सकता है। इसके अलावा भारत का बैंकिंग सेक्टर भी पिछले नौ सालों से काफी मजबूत हुआ है। दूसरी ओर अमेरिका और चीन में बैंक दिवालिया हो रहे हैं तो सामने भारत का बैंक तेजी से बढ़ रहे हैं। बैंको का मुनाफा भी बढ़ता जा रहा है, जिससे बैंक अपने कस्टमर को आसानी से लोन दे रहे हैं। बात करे NPA की तो बैंक के बैड लोन यानी एनपीए भी कम हो चुके हैं।

2018 में बैड लोन 10.8 फीसदी थे। 2023 में 4.9 फीसदी पर आ गया है। इतना ही नहीं 2016 में भारतीय बैंको में लोगों के 1149 बिलियन डॉलर थे तो 2022 में ये आंकड़ा बढ़कर 2100 बिलियन डॉलर का हो गया है। यह सभी आंकड़े भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था के संकेत दे रहे हैं। इसके अलावा किसी भी देश में व्यवसाय करना कितना आसान है इसके लिए वर्ल्ड बैंक ने एक इंडेक्स लॉन्च की है, जिसका नाम ease of doing business रैंकिंग है। 2014 में इस रैंकिंग में भारत 142 वीं रैंक पर था, लेकिन आज भारत इसमें 63 वें रैंक पर आ गया है और अगले इंडेक्स में शायद भारत और भी ऊपर आ जाएगा।

मोदी सरकार के कार्यकाल में अद्भुत बदलाव:

मनमोहन सिंह और मोदी सरकार के कार्यकाल में कई ऐसी चीजें हैं जो मोदी कार्यकाल में बेहतर हुई हैं, जिसमें जीडीपी और महंगाई दर प्रमुख हैं। 2014 में खुदरा महंगाई की दर 7.72 फीसदी थे और 2023 में यह दर 2.57 फीसदी रह गई है। वहीं 2014 से पहले एयरलाइन यात्रियों में बढ़ोतरी 9.20 फीसदी की दर से हो रही थी। लेकिन मोदी सरकार में एयरलाइन यात्रियों में बढ़ोतरी की दर 15.28 फीसदी तक हो गई। 2014 में 19.5 लाख करोड़ का एक्सपोर्ट हुआ था, जो 2022-23 में बढ़कर 36 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसके अलावा मोदी सरकार से पहले देशभर में करीब 409 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज था, जो बढ़कर डेढ़ गुना यानी करीब 613 अरब डॉलर पहुँच गया है।

औद्योगिक विकास और रोजगार का बढ़ता संकेत:

Centre for Monitoring Indian Economy (CMIE) के मुताबिक अभी देश में करीब 41,00,00,000 लोगों के पास रोजगार है, जबकि मोदी सरकार के आने से पहले 43 करोड़ लोगों के पास रोजगार था। आम आदमी की सालाना कमाई की बात की जाए तो 2014 से पहले एक आम आदमी की सालाना आए ₹79,118 थे, जो बढ़कर 2023 में ₹1,70,612 हो गई। लेकिन 2014 में जो चीजें सस्ती थी वो आज आसमान छू रही हैं। जैसे पेट्रोल, डीजल, बिजली और घरेलू गैस जो आम आदमी की सबसे बड़ी जरूरत है वो आज काफी महंगा हो गया है। फिर बेरोजगारी की दर 2014 में 3.40 फीसदी थी जो आज बढ़कर 2023 में 8.10 फीसदी तक हो गई है।

Indian Economic Progress: शिक्षा और स्वास्थ्य सेक्टर में परिवर्तन:

2014 से पहले शिक्षा बजट 79,451 करोड़ रुपया था जो 2023 में बढ़कर 8.12,लाख करोड़ रुपये हुआ है। शिक्षकों की संख्या पहले 82.68 लाख थे जो 2023 में बढ़कर 95.07 लाख हो गई है। 2014 से पहले स्कूलों की संख्या 15.18 लाख थे जो 2023 में कम होकर 14.89 लाख हो गई। वही यूनिवर्सिटी की संख्या 2014 में 723 के आसपास थी जो 2019 में बढ़कर 1113 हो गईं।

वही मोदी सरकार में स्वास्थ्य बजट में करीब 140 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है क्योंकि साल 2023 में स्वास्थ्य के लिए सरकार ने 89,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का बजट रखा था। इस कारण मोदी सरकार में डॉक्टर्स की संख्या में 4,00,000 से ज्यादा का इजाफा हुआ है। यानी इस सरकार में और पहले की सरकार में कोई चीजें बेहतर हुई तो कुछ बेहतर नहीं हो पायी। बाकी तो आने वाले समय में सरकार की नीतियां तय करेगी की यहाँ से देश किस तरफ आगे बढ़ेगा क्योंकि किसी भी देश की नीतियां ही उस देश को आगे बढ़ाती हैं।

सारांश:

सार्वजनिक दृष्टिकोण से, यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार के पाँच सालों के कार्यकाल में भारत की अर्थव्यवस्था में कई महत्वपूर्ण सुधार हुए हैं। इन सुधारों के परिणामस्वरूप, देश में अद्यतितिकरण और विकास की दिशा में सकारात्मक परिवर्तन आया है। जीडीपी और महंगाई दर में सुधार के साथ ही नौकरियों की वृद्धि और औद्योगिक विकास के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था ने मजबूती प्राप्त की है।

मोदी सरकार के कार्यकाल में महंगाई दर कम हुई है और यह आम लोगों के जीवन को सुखद बनाने में मदद कर रही है। नौकरियों की बढ़ोतरी और औद्योगिक विकास द्वारा, देश की जनसंख्या को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं, जिससे गरीबी की जनसंख्या में कमी आ रही है। देश के बैंकिंग सेक्टर में भी मजबूती आई है और बैंकों ने ऋण व्यवस्था को सुधारकर लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करने में मदद की है।

इसके अलावा, शिक्षा और स्वास्थ्य सेक्टर में भी सुधार हुआ है, जिससे नागरिकों को बेहतर सेवाएं उपलब्ध हो रही हैं। शिक्षा के क्षेत्र में बजट में वृद्धि और शिक्षकों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, जो नौजवानों को बेहतर शिक्षा प्रदान कर रही है। स्वास्थ्य सेक्टर में भी बजट में वृद्धि हुई है और यह सेवाओं को सुधारकर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कर रहा है।

अंत में, यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में देश की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है और आने वाले समय में भी सरकार को आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से उन्नति की दिशा में कठिन प्रयास करते रहना चाहिए। इन सुधारों के साथ, भारत अपने नागरिकों को और बेहतर जीवन की संभावना प्रदान करने के लिए तैयार है और वैश्विक मंच पर अपनी साकारात्मक प्रतिष्ठा बढ़ा रहा है।

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